असफलता क्यों
हम अपने सफलता के लिए अपने पूरे विचार और मन से अपने लिए कार्य प्रारम्भ कर देता हूं और अपने अन्दर मन में ये इस कार्य के प्रति पूरी निशठा से पूरे कार्य को पूरा करने के लिए ठान लेता हूं ।
लेकिन कुछ दूर चलने के बाद इस कार्य के प्रति मेरा मन दूर जाने लगता है और कार्य अधूरा रह जाता है और हमारी अपनी सफलता के प्रति विचार और कार्य विधि बदल जाती है हम अपने मन और अपना समय किसी और क्षेत्र में लगा देते हैं जिसका मेरी सफलता से किसी प्रकार का लेना देना नहीं होता जो हमें हमारी सफलता के रास्ते से दूर ले कर चला जाता है और हम अपने सफलता के मार्ग से भटकने लगते हैं।
लेकिन जब मैंने अपनी सफलता के पहेली कदम या शिर्डी रखी थी तो मैंने यह सोचा था कि मेरा यह कार्य दिन - प्रतिदिन इट के समान जुड़ता चला जाएगा और एक दिन एक बहुत ही बड़ी इमारत तैयार होगी लेकिन यह कुछ दिन ही तैयार होने के बाद ऐसे ही छूट गई जैसे कि किसी मकान की आंधी दीवार जोड़ देने के बाद छोड़ दिया गया हो जिसके बाद उस पर बरसात के पानी तथा कचड़े बैठ जाते हैं अगर आप इसी तरह अपने कार्य को पूरा करते हैं तो आप सब कभी सफल नहीं हो पाएंगे अगर आपको अपनी सफलता पानी है तो आप अपने सफलता के लिए कार्य के प्रति इतना ईमानदार रही है की जब तक आपकी सफलता की इमारत पुरानी हो जाती है तब तक आप अपनी सफलता के कार्य के लिए मजदूर और मिस्त्री है।।
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